गर्मी, सर्दी और वर्षा परियोजना का प्रस्तुतिकरण
यह प्रस्तुतीकरण छात्र-छात्राओं के द्वारा लिखा गया और प्रार्थना सभा में अभिनीत किया गया । यह प्रस्तुतीकरण छात्र-छात्राओं द्वारा विभिन्न मौसमों पर लिखी परियोजना पर आधारित था । इस परियोजना में छात्र-छात्राओं ने विभिन्न मौसमों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के साथ उनके बारे में लिखी गई कविताएं भी जमा कीं और स्वयं भी उन मौसमों पर कवितायेँ लिखीं । फिर इस परियोजना को स्क्रिप्ट रूप में लिखकर पेश किया । छात्र-छात्राओं ने मौसमों के अनुसार ही वेशभूषा पहनी थी जैसे कि - गर्मी- हलके रंग के कपड़े लड़कियाँ (घाघरा-चोली /सलवार-कमीज ) लड़के (पाजामा-कुरता/ निकर-टी शर्ट ,धूप का चश्मा , रंगबिरंगी छतरी, हाथ का पंखा, टोपी), सर्दी -मोटे गहरे रंग के कपड़े , स्वेटर, और शॉल , ऊनी टोपी , ऊनी मोज़े , स्कार्फ आदि , बारिश - सिंथैटिक कपड़े, छाता, जैकिट , रेन कोट आदि ।
सभी छात्र-
मौसम कितने प्यारे हैं,
अहा! कितने न्यारे हैं ।
एक छात्र-
मछली मैं बन जाऊँ
पानी में मैं खूब नहाऊँ
दूसरा छात्र-
बर्फ के पुतले मैं बनाऊँ
उनको टोपी भी पहनाऊँ
तीसरा छात्र -
कागज़ की एक नाव बनाऊँ
झट से पानी में तेराऊँ
चौथा छात्र-
चैत्र वैशाख ज्येष्ठ या मार्च, अप्रैल, मई
आया गरमी का मौसम
मीठे आमों का मौसम
पाँचवा छात्र -
मार्गशीर्ष , पौष, माघ या नवबंर, दिसंबर, जनवरी
शीतल सर्द हवा चले
किटकिटाते हैं दाँत सबके
जल्दी से सब रज़ाई में घुस जाते
छठा छात्र-
आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद या जून , जुलाई , अगस्त
गिरती बारिश खूब झमाझम
लेते गर्म-गर्म खाने का मज़ा हम
सातवाँ छात्र -
ऊष्मा और अग्नि है गर्मी में
यही दोनों हैं भारतीयों में
तभी तो कवि कहते गर्व से
गर्मी "राष्ट्रीय ऋतु " है ।
आठवाँ छात्र-
किसी के लिए मधुयामिनी, वरदान भरी
किसी के लिए अभावों और अभिशाप वाली
सभी को जड़ बना देता यह जाड़ा
ठिठुरकर कोई गरीब किसी तरह से रात काटता
नवाँ छात्र -
कहीं दादुर की टर-टर, मोर का पँख फैलाना
बादलों का गर्जन, बिजली का चमकना
हरे-पीले सिंदूर रंग के फल
ढेर -सी सब्ज़ियों की भरमार
नाग पंचमी , कजली तीज , रक्षाबंधन त्योहारों की कतार ।
पहला छात्र -
आप सब जान ही गए होंगे कि हम तीन ऋतुओं के बारे में बात कर रहे हैं । हम सबने इन ऋतुओं पर परियोजना की। इन ऋतुओं पर हमने हिंदी और अंग्रेजी भाषा में लिखी कवितायेँ इकट्ठी की है। उन कविताओं की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं -
दूसरा छात्र- गर्मी के दिन कितने अच्छे
छुट्टी में खेलें सब बच्चे
नाना हमें बुलाते हैं
लम्बी, छुक -छुक रेल में हम सब
नाना के घर जाते है।
तीसरा छात्र - घर -घर में पंखा
सबको पास बुलाता
मीठी नींद सुलाता
ठंडी हवा खिलाता ।
पहला छात्र - धरती पर कुछ हो न पाता
आग का गोला यदि न आता
गरमी में यह आग बरसाता
सर्दी में गर्मी पहुँचाता
पानी से यह मेघ बनाता
चारों ओर प्रकाश फैलाता
दूसरा छात्र- अगर न होता सूरज जग में
पौधे कहाँ पनपती
बिना सूर्य की गर्मी के
आम कहाँ से पकते ?
तीसरा छात्र - घर से तुम मत बाहर जाना
लूओं अथवा गर्म हवाओं से मत मुँह झुलसाना
अगर गए तो दु:ख पाओगे ,
आने पर पीटे जाओगे ।
पहला छात्र- हवादार पेड़ों के साए
जैसे माँ एक लोरी गाए
गरमी बिना बुलाए
कोई अनचाहा मेहमान लगी
हर रास्ते हर गली-गली
सूरज की दूकान लगी ।
दूसरा छात्र- पीले पड़े पेड़ों के पत्ते
अब तो आखिरी भी झड़ रहा है
नहीं हरी शाखों की उम्मीद
कतरा-कतरा भूमि फट रही है
First Student: Here comes summer, here comes summer
Chirping Robins, budding roses.
Second Student: Summer is when kids are playing
Summer is when there is hot weather
Summer is when everyone is smiling.
Third Student: Each summer the last summer
The only remembered summer
In retrospect
The one so eagerly
Anticipated
And then so uneventful
Like a puritan strip tease
A withered erection
The Kentucky derby.
पाँचवा छात्र - सर्दी की रातें जब होतीं
नींद कभी न पूरी होती
ओढ़ रजाई दुबक-दुबक कर
अपनी माँ से लिपट-लिपट कर
जल्दी से सो जाता हूँ ।
छठा छात्र- आते ही सर्दी का मौसम
सूरज को भी ठंडी लगती
सुबह देर तक बदली रहती
सात बजे तक धूप निकलती ।
सातवाँ छात्र- सिलवा दो माँ मुझे एक मोटा-सा झिंगोला
सन -सन चलती हवा रात भर जाड़े में मरता हूँ
ठिठुर-ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ
आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का ।
पांचवा छात्र- बर्फ का बदन, चेहरा धूप का
वाह वा, जवाब नहीं रूप का
कम्बल, रजाई, ओढ़ने के दिन
लो फिर से आ गए जाड़ों के दिन ।
Sixth student: Summer fading, winter comes
Frosty mornings, tingling thumbs
Window robins, winter rooks
And the picture story books.
Winter and snow is a child's delight.
Seventh Student: Things dreamed of in July
Sleds and hills, squeals and spills.
Waving, as the world rushes by
There is snow on the ground, slow in the air
Snow and snow everywhere.
Eight Student: Cardenas, Jays, Chickadees
And God's beloved Sparrows
All a part of His Winter Canvas
Perfected by Him who knows?
आठवाँ छात्र- सूरज की गर्मी से समुद्र और नदियों का पानी भाप बनकर आसमान की तरफ उड़ जाता है और बादल बनते हैं । फिर बारिश की तरह यह पानी ज़मीन पर गिरता है ।
जब आकाश में बारिश की बूंदें होती हैं और साथ में सूरज भी होता है और जब ये किरणें इन बूदों के अंदर से निकलती हैं तो इन्द्रधनुष बनता है ।
नवाँ छात्र- बादल देख हम हर्षाए
पानी में हम खूब नहाए
कागज़ की एक नाव बनाएँ
पानी में हम उसे बहाएं ।
दसवाँ छात्र - काले बादल छाते जाएँ
वर्षा का संदेश सुनाएँ
गरज-गरज कर , भेष बदलकर
रोज नया चेहरा दिखलाएँ ।
ग्यारहवाँ छात्र- धरती की प्यास बुझाओ तुम
तपते जंगल हरषाओ तुम
सागर में मिल जाओ तुम
बरखा दीदी आओ तुम ।
आठवाँ छात्र- एक हवा का झोंका आया
उसने छाता दूर उड़ाया
पीछे-पीछे भागी रानी
छप -छप -छप - छप बरसे पानी ।
नवां छात्र - वर्षा के हैं रूप अनेक
एक बिगाड़े दूजा नेक
जितनी यह सुखदाई होती
उतनी ही दुखदाई होती ।
दसवाँ छात्र- मेरा छाता बड़ा निराला
यद्यपि है वह रंग का काला
बरसा मेह, चला पतनाला
मेरा छाता शीघ्र निकाला ।
ग्यारहवाँ छात्र- प्यारी-प्यारी वर्षा आई
यह सुन्दर हरियाली लाई
छम -छम करती वर्षा आई
झम -झम करती सबको भायी ।
Eighth Student: The rainy season is abroad
And the skirt of my dress is wet
You have gone off to distant lands,
And my heart finds it unbearable.
Ninth Student: The great rock will stare
Unmagnified, bare
No longer wearing
Rainbows or rain
The forgiving air
The owls will move on
And the several
Waterfalls shrivel
In the steady sun.
हममें से कुछ छात्र-छात्राओं ने कुछ कविताएं लिखी हैं । वे सुनिए-
एक छात्र- गर्मी पसंद है मुझे
हम सब "आम" हैं खाते
स्कूल नहीं जाना है हमें
चलो घर में बैठकर खेलें
बहुत-सारी आइस्क्रीम खानी हमें ,
बाद में फिर स्कूल जाना है हमें ।
दूसरा छात्र- सूरज आया ,मौसम बदला
चिड़ियाँ करती चूँ -चूँ,
सारे कीड़े ऊपर आए
आराम से पत्ते खाएँ ।
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