जनवाणी कार्यक्रम (जनता की अदालत में)
यह नाटक मैंनें मुंबई में "उत्पल सांघवी के कक्षा नौ -दस के छात्र-छात्राओं " के साथ १९८७-८८ में किया था। यह स्क्रिप्ट हमने अथवा मैंने और मेरे छात्र-छात्राओं ने मिलकर लिखी थी। इतनी पुरानी बात है इसलिए पूरी प्रक्रिया याद नहीं है। बस, इतना याद है कि इस तरह का कार्यक्रम उन दिनों दूरदर्शन पर आता था और उसी से प्रेरित होकर हमने यह स्क्रिप्ट लिखी थी। सभी ने इस नाटक की सराहना की थी । मैंने उसके बाद इस नाटक को दुबारा नहीं किया । पर आशा है कि शायद पाठकों को यह नाटक पसंद आएगा और वे इसे रंगमंच पर करने के लिए प्रेरित होंगे ।
(जनवाणी कार्यक्रम का आरम्भ होने वाला है । दूरदर्शन पर संगीत की आवाज़ सुनाई दे रही है। घोषिका आकर घोषणा करती है। )
घोषिका- हमें यह बताते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है कि आज हम जो जनवाणी कार्यक्रम आपके सामने पेश करने जा रहे हैं -वह अपने आप में एक अनोखा और निराला कार्यक्रम है क्योंकि पहली बार हम आपके सामने हमेशा की तरह एक मंत्री महोदय लाने के बजाय अनेक मंत्री गण ला रहे है। आइए देखते हैं कि वे सब मंत्री गण किस प्रकार से अपनी प्रिय जनता की समस्याओं का निराकरण करते हैम। इस कार्यक्रम के प्रायोजक हैं -शैतान पंखे ।
(विज्ञापन शुरू होता है )
विज्ञापन- गर्मी हो या सर्दी हो शैतान पंखे । गर्मी हो तो शैतान पंखे । सर्दी हो तो शैतान पंखे । खुजली हो तो शैतान पंखे । मच्छर हो तो शैतान पंखे । कमर तोड़ भारी छूट पर शैतान पंखे । केवल एक रुपया पच्चीस पैसे।
(दूरदर्शन पर जनवाणी कार्यक्रम लिखा हुआ आता है और संगीत भी चलता है। जनवाणी कार्यक्रम की स्टेज एक तरफ संचालक बैठे हैं, उन्हीं के पास वाली कुर्सी पर मंत्री के बैठने का स्थान है , दूसरी तरफ दर्शक गणों के बैठने का स्थान है । )
संचालिका- (नमस्कार करते हुए सभी का स्वागत करती है, बताती है।) सर्वप्रथम आपकी मुलाक़ात हम कराएंगे खेलमंत्री श्री गिरधारी लाल चौबे से।
(तभी जोगिंग करते हुए खेल मंत्री का जोगिंग सूट में प्रवेश होता है ।)
मंत्री- मी जोगिंग करुंण आलोय ।
ड्राइवर- साहब, साहब गाडी किधर पार्क करुं ?
मंत्री- चल हट , इधर से ।
संचालिका -( मंत्री से नमस्कार कर दर्शकगणों को उनका परिचय देती है ) अब शुरू करते हैं- प्रश्नों का सिलसिला । पहला प्रश्न भरत बाबू, राजकोट से पूछेंगे ।
भरत - नमस्कार मंत्री महोदय , मैं आपसे प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि आजकल भारत का खेलों में विश्व स्तर पर क्या स्थान है?
मंत्री- स्थान है, स्थान है-------------बड़े-बड़े खेलों में बड़े-बड़े मैदानों में छोटा-छोटा स्थान है । यह स्थान आता है, जाता है, जाता है, आता है । अभी देखिए, हमारे भारत की हॉकी टीम १९६८ में वर्ल्ड कप से ऊपर नहीं आ सकी। किन्तु अभी हाल ही में जापान में कबड्डी की प्रतियोगिता हुई तो उसमें भारत का स्थान दूसरा रहा ।
संचालिका- (आश्चर्य से आँखें फैलाकर ) दूसरे नंबर पर ।
मंत्री- हाँ , हाँ दूसरे नंबर पर ।
भरत - कितनी टीमें थीं ?
मंत्री- दो टीमें । (दर्शक मुस्कराते हैं)
संचालिका - अगला प्रश्न करेंगे मनमोहन पाहूजा, हरियाणा से ।
मनमोहन- मंत्री महोदय मैंने सुना है कि भारत की क्रिकेट टीम के मैंनेजर बहुत शराब पीते है? और अपनी टीम का ध्यान नहीं रखते ।
मंत्री- हमारी टीम के मैनेजर एक बहुत ही अजीब किस्म के आदमी है। जब हमारी भारत की टीम जीत जाती है तो वे ख़ुशी के मारे बहुत पीते हैं , बहुत पीते हैं ।
संचालिका- किन्तु जब टीम हार जाती है तब?
मंत्री -(कुछ सोचकर) तब वे बहुत दुःखी होकर गम के मारे पीते हैं । इसलिए वे हर समय पिए हुए होते हैं ।
संचालिका - अब मद्रास से श्री वैंकट स्वामी अगला प्रश्न पूछ रहे हैं । लिखते हैं- "मंत्री महोदय, बहुत समय से हम सुन रहे हैं कि भारत के खेलों के लिए बहुत प्रबंध किया जा रहा है । किन्तु खेलों के प्रदर्शन को देखकर महसूस नहीं होता कि इस क्षेत्र में कुछ किया जा रहा है, क्या आप इस संदर्भ में कुछ करेंगे ?
मंत्री - हम खेलों के लिए व्यवस्था कर रहे हैं - हाँ , बहुत व्यवस्था कर रहे है। देखिए, बड़े -बड़े मैदानों में थोड़े-थोड़े समय के लिए हमारे खिलाड़ी ट्रेनिंग लेते हैं । अब अगर आप हमारी पी टी उषा को ही लें ।
भरत - उसी को क्यों, क्या दूसरे खिलाड़ी नहीं हैं ?
मंत्री- हाँ , और भी खिलाड़ी हैं । लेकिन हम सब को मज़बूती, तंदुरस्ती, ताकत, फुर्ती और चुस्ती देने वाला ----
राजेन्द्र- (बीच में ही टोकता है ) क्या? क्या?
मंत्री-लाइफ ब्वॉय साबुन दे रहे हैं ।
राजेन्द्र- (आश्चर्य चकित होकर ) अच्छा $$$$$
मंत्री - हाँ और इसके साथ हम उन्हें ऐंकर सॉक्स और पॉवर शूज भी दे रहे हैं ताकि वो आसानी से भाग सकें ।
राजेन्द्र- अरे वाह!
योगेश- किन्तु मेरे पास यहाँ पर यह सूचना और सबूत है कि एक खिलाड़ी को हवाई चप्पल और ५०१ नंबर साबुन मिला ।
मंत्री- (थोड़ा चिंतित हो जाता है ) रुमाल से अपने माथे का पसीना पोंछता है । (हिचकिचाते हुए जवाब देता है ) अच्छा तो यह बात है ! हम इन्कायरी कमीशन बैठाएंगे । इस पर कार्यवाही करेम्गे। अच्छा, अब मुझे इजाजत देंगे , मुझे जीमखाना जाना है , मैं चलूंगा ।
संचालिका- बहुत अच्छा, मंत्री महोदय! हम आप के बहुत आभारी हैं, जो आप यहाँ पधारे ।
मंत्री - अच्छा, मैं जीमखाना जाता हूँ ।
ड्राइवर-साहब चलिए, आपके सोने का समय हो गया ।
मंत्री- चुप बदमाश, क्यों मेरे पीछे पड़ा है ?
(खेल मंत्री चला जाता है , जनसंख्या मंत्री का आगमन होता है )
संचालिका - खेल मंत्री के बाद आपकी मुलाकात करा रहे हैं -जनसंख्या मंत्री से ।
(जनसंख्या मंत्री का दस-बारह बच्चों के साथ प्रवेश )
मंत्री - कोई बात नहीं । अरे! चिंटू, मिंटू, बिट्टू , पिंटू , किट्टू, अब जाकर उधर बैठ जाओ । बच्चों में से एक बच्चा- पिताजी, पिताजी, अभी तक आपने उपस्थिति नहीं ली । (मंत्री महोदय अपना रजिस्टर निकालता है, उपस्थिति लेता है, एक बच्चे का नाम बुलाता है, तो वो बच्चा नहीं होता ।)
मंत्री- (बच्चों से) अरे, वह कहाँ है?
बच्चा- वह खेल रहा है ।
मंत्री- किसके साथ?
बच्चा- खेल मंत्री के साथ गोटी खेल रहा है ।
मंत्री- अच्छा, अच्छा खेलने दो।
संचालिका- अच्छा तो मंत्री महोदय ,आपका स्लोगन क्या है ?
मंत्री- हमारा स्लोगन है-"एक छाते के नीचे दो व्यक्ति"।
संचालिका- पर आपके घर में तो बारह व्यक्ति हैं ।
मंत्री- तो क्या हुआ ? हमारे घर में छाते भी तो छ : हैं ।
संचालिका - (आश्चर्य से ) छ : छाते !
मंत्री- हाँ , हाँ , मैं बताता हूँ कि मुझे छ : छाते कैसे मिले? एक छाता दहेज़ से एक नीचे से एक बस से वो अॉटोमैटिक बटन वाला, इसी तरह से सब मिले ।
संचालिका- पहला प्रश्न पूछेंगी अश्मिता गुप्ता , तमिलनाडु से।
अश्मिता- मंत्री महोदय, भारत की आबादी दिन पर दिन बढती जा रही है , ऐसा क्यों?
मंत्री- क्योंकि भारत अन्य क्षेत्रों में तो उन्नति कम कर पा रहा है इसलिए इस क्षेत्र में प्रगति कर रहा है ।
योगेश- क्या आप बता सकते हैं कि हमारे देश की आबादी का विश्वस्तर में क्या स्थान है ?
मंत्री - आज विश्वस्तर में भारत का दूसरा स्थान है, पर हमने इन्कायरी कमीशन बैठाया है, शीघ्र ही इस क्षेत्र में हम चीन को हरा देंगे ।
संचालिका - अब प्रश्न पूछ रही हैं - अंजली गुप्ता बंगाल से ।
अंजली - मंत्री महोदय, बढती हुई जनसंख्या की समस्या को सुलझाने के लिए आप क्या उपाय कर रहे हैं?
मंत्री- हम उपाय कर रहे हैं, पोस्टर लगवा रहे हैं , स्लोगन बनाकर प्रचार करवा रहे हैं । हमारा सबसे प्रसिद्ध स्लोगन है -" डिक्रीज पॉपुलेशन बाई टेरेयिज्म -दि ओनली सोलूशन ।"
संचालिका - अंतिम प्रश्न - योगेश गुप्ता बिहार से।
योगेश- मंत्री महोदय, क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि आज भारत में अनपढ़ों की आबादी बढती जा रही है । तभी भारत की भी आबादी बढ़ रही है- इस सम्बन्ध में आपके क्या विचार हैं?
मंत्री- इसका भी हमने एक उपाय सोचा है । हमने लोगों को पुस्तकें दी हैं ।
मंत्री- बलेंक पुस्तकें (सब मुस्कराते हैं) । अरे $$$ याद आया, मुझे हॉस्पिटल जाना है ।
संचालिका- हॉस्पिटल ?
मंत्री- जी हाँ , मेटरनटी हॉस्पिटल , मेरी बीबी वहाँ है ।
संचालिका- फिर तो आपको एक और छाते की ज़रूरत होगी ।
मंत्री- जी हाँ , एक छाता मैं आपसे ले लूंगा ।
संचालिका- (हँसती हुई) अच्छा तो मंत्री महोदय, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो आपने यहाँ पधारकर अपना अमूल्य समय दिया ।
(जनसंख्या मंत्री चले जाते हैं , सुरक्षा मंत्री का प्रवेश )
संचालिका- अब आपसे बातचीत करेंगे हमारे सुरक्षा मंत्री श्री घबरा------
(सुरक्षा मंत्री का प्रवेश- संचालिका उठकर उनका अभिवादन करना चाहती है कि मंत्री कहते हैं - अटेंशन । अपने कमांडोज को अलर्ट , चेक का आदेश देते हैं । कमांडोज दर्शकों और संचालिका की तलाशी लेते है ।)
कमांडोज - उनके पास कोई हथियार नहीं है, सर ।
मंत्री- अब घबराहट कर डरपोक रॉव को नहीं है डर ।
संचालिका - मेरी मौत नहीं है इतनी आसान ।
ऐसे ही मर जाऊँगा तो देश के लिए क्या करूंगा कुर्बान?
इसलिए इस देश के लिए कीमती है मेरी जान ।
मेरे बाद मेरे जैसा नहीं आएगा कोई जवान ॥
संचालिका - आपके बहुत अच्छे विचार हैं और नेक इरादे हैं । अब सर्वप्रथम प्रश्न मनमोहन पाहुजा, हरियाणा से प्रश्न पूछेंगे ।
मनमोहन - नमस्कार मंत्री महोदय, कुछ दिनों पहले अखबारों में पढ़ा था कि मिल्टरी का एक बड़ा ठेका सीमेंट का एक गलत ठेकेदार को दे दिया गया है, जो अपनी बेईमानी के लिए प्रसिद्ध है । इस संदर्भ में आपके क्या विचार हैं ?
मंत्री- देखिए, बात ऐसी है कि ----------बात ऐसी है------------
संचालिका- कैसी बात है ?
मंत्री - अब आपसे क्या छुपाऊँ ? वो है मेरे काका के भाँजे के बेटे का ताऊ ।
भरत - (बीच में टोककर) ते ठेकेदार च्या काय आहे असली ताऊ ।
मंत्री- गिरधारी शंकर राव ।
संचालिका - अब अगला प्रश्न चरणजीत सैनी पंजाब से करेंगी ।
चरणजीत - मंत्री महोदय , मैं आपसे कमांडोज के बारे में पूछना चाहती हूँ । सभी मंत्रियों के कमांडोज उनकी रक्षा के लिए गोलियाँ चलाते हैं । पर उनकी गोली से मरता कोई नहीं है। ऐसा क्यों?
मंत्री - जी ऐसा है कि हमारे कमांडोज तो बहुत बहादुर हैं -
हमारे सिपाही हैं बड़े बहादुर,
जो कर देते हैं दुश्मनों को चूर-चूर
किन्तु हमारी साड़ी बंदूकों का ठेका
लियो टॉयज वालों को है दे रखा ।
संचालिका- अब भरत साबू अगला प्रश्न करेगे ।
भरत - मंत्री महोदय, मैंने सुना है कि हमारे देशों में दूसरे देशों के सैनिक हमारे सैनिकों की वर्दियाँ पहनकर घुस आते हैं । इस बारे में आपके क्या विचार हैं?
मंत्री - आप कहते हैं जो, वो सही है। थाने में इंटेरोगेशन चल रहा है । इसमें हमारा कोई दोष नहीं है , सब लफड़ा करते वही हैं, कहते हैं वो तुम सुनो -
"एक्सपर्ट क्वालिटी का है आपका कपड़ा ,
रद्दी के भाव वहाँ रहता है पड़ा ,
आपका यह कपड़ा ख़ास चरखे से बनाया जाता ,
जो हमें भी बनाने को नहीं आता
वही ये सब करते हैं साले ,
जिससे हो जाते हैं गड़बड़ घोटाले ।"
(तभी मंत्री कहते हैं )
मंत्री- क्या इस जनवाणी कार्यक्रम से हमें नहीं मिल सकता एक गिलास पानी ।
(कमांडोज आकर फोन के बारे में बताते हैं)
कमांडोज - सर, आपका टेलीफोन ।
मंत्री-कबाब में बोन ?
संचालिका - बोन ?
मंत्री- जी हाँ , हड्डी ।
(मंत्री फोन सुनकर आते हैं , सोच की मुद्रा में बैठ जाते हैं)
संचालिका- क्या हुआ? मंत्री महोदय ?
मंत्री- हमारे प्राइम मिनिस्टर से आया है ऑर्डर
अभी जाना पडेगा बार्डर
नहीं तो जनता कर देगी हमारा मर्डर ।
संचालिका - धन्यवाद मंत्री महोदय, आपने अपना अमूल्य समय जनवाणी कार्यक्रम को दिया, हम आपके आभारी हैं ।
मंत्री - आपके साथ बातचीत करने में हमें मज़ा आया ।
अब आपसे हम लेते हैं विदाई
काम ऑन , कमांडोज , अच्छा बाई, बाई ।
(सुरक्षा मंत्री चले जाते हैं )
संचालिका- सुरक्षा मंत्री के बाद आपसे बातचीत करने वाले हैं- शिक्षामंत्री ।
(सुरक्षा मंत्री के जाने के बाद शिक्षा मंत्री का प्रवेश होता है। उनके साथ उनका सैक्रेटरी बहुत-सी किताबें लिए हुए मोटी ऐनक पहने हुए आकर किताबें मेज पर रखकर मंत्री के पीछे खड़ा हो जाता है ।)
(बच्चे का प्रवेश)
बच्चा- अंकल, अंकल, "जेड" के बाद क्या आता है ?
मंत्री-(कुछ चौंककर) जेड के बाद, अरे, यह तो मैंने कहीं पढ़ा है । सुना -सा भी लगता है। खैर, मैं बहुत व्यस्त रहता हूँ ना , सैक्रेटरी, ज़रा आप बताइए ।( सैक्रेटरी मंत्री के कान में बोलता है, बच्चा हँसकर चला जाता है ।)
संचालिका- सर्वप्रथम शिक्षा मंत्री जी से प्रश्न पूछ रही हैं-रूपा , एम ए राजस्थान से।
रूपा -मंत्री महोदय, जहाँ तक मैं समझती हूँ कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का स्थान दिया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में इसे अब द्वितीय भाषा के स्थान पर तृतीय भाषा का दर्जा दिया गया है , ऐसा क्यों?
मंत्री - समझवाली बात छ चे -हिंदी राष्ट्रभाषा तो राष्ट्रभाषा है । स्थान द्वितीय हो या तृतीय है । कुछ फर्क नहीं पड़ता । हू पण राष्ट्रभाषा माँ बात करूँ छू ।
संचालिका - अगले प्रश्नकर्ता राजेन्द्र, उत्तर प्रदेश से ।
राजेन्द्र - मंत्री महोदय-, आजकल मैंने देखा है कि हमारे स्कूल जाने वाले बच्चों के कंधे झुके हुए होते हैं, ऐसा क्यों?
मंत्री- सोविनियर (सैक्रेटरी बहुत मोटी -सी किताब लाकर मेज पर रखता है , दर्द की आवाज निकलती है उसके मुँह से ।) देखिए साहब! क्या यह किताब किसी वैज्ञानिक की है ? नहीं, यह तो हमारे देश के पहली कक्षा में पढने वाले बच्चों की किताब है क्योंकि आज के बच्चे कल के नेता हैं । वे अगर इतने बड़े भारत राष्ट्र के बोझ को नहीं संभालेंगे तो कौन संभालेगा?
संचालिका - अब आखिरी प्रश्न कर रही हैं - अश्मिता गुप्त , तमिलनाडू से ।
अश्मिता -आजकल यह देखा जाता है- मंत्री महोदय , विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के अंक सभी विषयों में जहां तक कि साहित्य में भी शत-प्रतिशत आते हैं , इस बारे में आप कुछ कहेंगे?
मंत्री - अरे $$$-------यह कैसे हो गया ? सब जगह समाचार फैल गया । (सैक्रेटरी से ) तुमने तो कहा था कि यह लीक नहीं होगा । खैर --------बात यह है कि इसमें मेरा कोई कसूर नहीं है । विश्वविद्यालय के इम्प्लोइज मुझे मस्का मारने के लिए यानि बटरिंग करने के लिए मेरे सम्बन्धियों को शत -प्रतिशत अंक देते हैं । इसमें मैं क्या कर सकता हूँ ? अरे, ओह, मेरी ट्यूशन का समय हो गया । अच्छा तो मैं चलता हूँ नमस्कार ।
संचालिका - बहुत-बहुत धन्यवाद, मंत्री महोदय । जो आपने हमें अपना अमूल्य समय दिया ।(शिक्षा मंत्री चले जाते हैं ।)
संचालिका- अंत में आपसे मुलाक़ात करेंगे सिंचाई मंत्री ।
(सिंचाई मंत्री का "अल्लाह मेघ दे पानी दे " गाने की धुन के साथ प्रवेश होता है ।)
मंत्री- गुड मार्निग, गुड मॉर्निंग , नमस्ते ।
संचालिका- नमस्ते मंत्री महोदय ।
मंत्री- ओ , नहीं, नहीम। प्लीज, प्लीज , स्पीक इन इंग्लिश, यू सी ---------मैं हिंदी फ्लून्ट नहीं बोल सकता सो प्लीज ।
संचालिका- ठीक है, ठीक है, मंत्री महोदय। मैं इंग्लिश में ही बोलती हूँ । नाओ वि विल स्टार्ट ऑवर क्वशनेर ।
मंत्री- (बहुत घबराया हुआ है ) प्लीज केन आई हेव गोल्ड वॉटर ।
संचालिका- (चौंककर) गोल्ड वॉटर ?
मंत्री-यस , यस , गोल्ड वॉटर । व्हाट डू यू से इन हिंदी- डंड बानी । यस केन आई हेव अ ग्लास ऑफ़ डंडा बानी ।
संचालिका -(परेशान होकर) डंडा बानी ?
मंत्री- यस प्लीज ।
संचालिका- रामू ,एक गिलास डंडा बानी लेकर आओ ।(रामू लाता है )
मंत्री- नो, नो, आई डिड नोट आस्क फॉर अ स्टिक । आई आस्कड फॉर डंडा बानी अउर गोल्ड वॉटर ।
संचालिका- (हँसते हुए ) ओ - ठंडा पानी । रामू ठंडा पानी लाओ , तुम तो डंडा और गिलास ले आए । (रामू लाता है , मंत्री पानी पीकर संतुष्ट हो जाता है )
संचालिका- नॉव फर्स्ट क्वेश्चन फ्रॉम रूपा ।
रूपा - सर, व्हाट स्टेपस ऑर यू टेंकिग फॉर इपऱुपिंग वॉटर सप्लाई?
मंत्री- वी आर डिंगिंग मैनी वेल्स एंड ऑलसो पुटिंग अप मैनी इरिगेशन केनॉल्स ।
संचालिका- वेयर?
मंत्री- वि आर डिगिंग वेल्स इन राजस्थान एंड पुटिंग आप मैनी इरिगेशन केनॉल्स नियर दी बे ऑफ बंगाल ।
संचालिका - नाओ अदर क्वशेचन फ्रॉम चरणजीत ।
चरणजीत- डेयर इज वॉटर इन दि टेंक पर टेप में नहीं आता तो व्हाट आर यू डूइंग टू सॉल्व दिस प्रॉब्लम ।
मंत्री- ओ, यस वी हेव थाट अबाउट देट ऑल्सो यू सी वी हेव बीन स्पलायंग रॉब्स एंड बकिट्स। संचालिका - रॉब्स ?
मंत्री- यस, आर ओ पी इ एस , व्हाट डू यू से इन हिंदी -रस्सी ।
संचालिका- ओ, रोप्स ।
मंत्री -यस , तो मैं कह रहा था वी आर सपलाइंग रोपस एंड बकिट्स एट कन्सेशनल रेटस टू दि पीपल ।
रूपा -बट हाओ केन दे बी बेनिफिटिड ?
मंत्री- ओ, बताता हूँ । यू सी दि हेल्प ऑफ दीज रोप्स एंड बकिट्स दि पीपल केन इजिली रिमूब वॉटर फ्रॉम दि टैंक ।( सडनली ही सेज, एक्सक्यूज मी प्लीज, लिफ्ट लिटिल फिंगर अप ।)
संचालिका- ओ, यस, यस,डाउन दि कॉरिडॉर सेंकेड डोर टू दि लेफ्ट । इट्स मार्कड जेंट्स ।
अच्छा , अगले सप्ताह हम ऐसे ही अन्य मंत्रियों से आपकी बातचीत कराएंगे और जनता अपने प्रिय मंत्रियों से प्रत्यक्ष रूप से अपने प्रश्न पूछ सकती है । आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद । अलविदा अगले सप्ताह फिर से नए प्रश्नों के साथ नए क्षेत्रों के मंत्रियों के साथ ।
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