जंगल के जानवर आए घूमने शहर
प्रस्तुत कविता मैंने किसी किताब से ली पर उसमें किसी कवि का नाम नहीं लिखा था । इस कविता को मैंने बच्चों को विभिन्न जानवरों के बारे में बताने के लिए और उनके नाम हिंदी भाषा में सिखाने के लिए सिखाया और बच्चों ने इस कविता के वाचन के साथ इसे अभिनीत भी किया । यह कविता वैली स्कूल में मैंने प्राथमिक मिश्रित समूह अथवा कक्षा दो, तीन और चार के छात्र और छात्राओं के साथ की । इस कविता के प्रस्तुतिकरण को किए न जाने कितने वर्ष बीत गए हैं पर मुझे लगता है जैसे कि यह हाल की ही बात हो । इस प्राथमिक मिश्रित समूह का नाम "ऊर्जा" था और मेरी सहेली अर्चना राज इस समूह की अध्यापिका थी जिसने मुझे इस प्रस्तुतीकरण को प्रस्तुत करने में सहायता की थी । मैं ने अपनी इस सहेली के साथ मिलकर काफी प्रस्तुतीकरण किए इसलिए उनका सहयोग आज भी मुझे तरोताजा है और मैं उनकी शुक्रगुज़ार हूँ । हमने हर दो पंक्तियों के बाद पहली पंक्ति को दोहराया ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था । उस दल में एक भालू भी था, जो पढ़ता रामायण गीता ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था ।
एक शेर था, एक था हाथी, ऊँट बना बन्दर का साथी ।
बिल्ली भी थी, चूहे भी थे, मिलकर सभी वहाँ रहते थे ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था ।
गए घूमने शहर जानवर, तभी शहर में मच गई भगदड़ ।
जब बन्दर ने मारी घुड़की, हँसी फूट पड़ी तब सबकी ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था ।
जो भी मिलता था रास्ते में, छूट नहीं पाता सस्ते में ।
कभी किसी की टोपी झपटे, थैला लिया किसी का चट से ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था ।
उधर दूर शेर ने देखा, राशन की थी लम्बी रेखा ।
पूछा आखिर क्या चक्कर है, उत्तर मिला यहाँ शक्कर है ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था ।
गेहूँ है , चावल की बोरी, लाला बेचें चोरी-चोरी ।
उसको आती नहीं शर्म है, अब कहता है माल खतम है ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था ।
तभी ज़ोर से गरजा शेर, क्यों लाला करते अंधेर ।
बिल्ली बोली म्याऊं -म्याऊं , अभी पता लगाकर लाऊँ ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था ।
चूहे कब आएंगे काम, छिपा कहाँ राशन गोदाम ।
चटपट चूहे भागे छू -छू , पता लगाकर लाए चूँ -चूँ ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था ।
उठाकर बोरी भालू लाया, ऊँट ने उसका हाथ बँटाया ।
तोला तब बन्दर ने राशन, सभी भर दिए खोली-बासन ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था ।
लाला खड़ा पकड़कर कान, बन्दर बोला क्यों श्रीमान ।
ऐसे ही बन गए धनवान, करवाया उसका चालान ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था ।
शेर तमाशा दिखाने लगा, उठा ऊँट गर्दन भी , गाने लगा ।
गधा भी सुर को मिलाने लगा, बड़ा ढोल हाथी बजाने लगा ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था ।
बन्दर भी ढोलक बजाने लगा, ताल गीदड़ मिलाने लगा।
भालू भी घंटी हिलाने लगा, जंगल का दल अब जाने लगा ।
किस्सा सुनो किसी जंगल का, उसमें रहता छोटा-सा दल था ।
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