मेरा परिवार
(नीचे लिखी नाटिका में कुछ कविताएं कहीं से संकलित हैं और कुछ लिखी गई हैं ताकि छोटे बच्चों को परिवार के बारे में बताते हुए कुछ महत्त्वपूर्ण रिश्तों की जानकारी रोचक ढंग से दी जा सके । यह नाटिका मैंने कक्षा एक और दो के साथ की थी । सभी बच्चों ने इन कविताओं का वाचन किया और कुछ बच्चों ने नाना-नानी, दादा-दादा आदि नातों पर अभिनय किया ।आशा है कि मेरे जैसे कई अध्यापक और अध्यापिकाओं के लिए लाभकारी होगी।)
(१.) सुंदर सुंदर प्यारा परिवार,
मेरा तुम्हारा सबका परिवार ।
मिल-जुलकर रहते, इसमें नाना-नानी,
मामा-मामी, मौसा-मौसी ,चाचा-चाची ।
बुआ-फूफा, भैया-दीदी, दादा-दादी,
साथ में हमारे पापा और मम्मी ।
आओ , आओ , मिलाएं आप सबको हम अपने परिवार से -
(२.) खाना खिलाने वाली, लोरी सुनाने वाली।
है हमारी माता, प्यारी-प्यारी आँखो वाली ।
(३) ऑफिस जाते, शाम को आते,
हमारे पिता, हमको रोज पढ़ाते ।
(४.) भैया मेरा नटखट , करता हरदम खटपट ।
फिर भी रखे ख्याल, यह है भैया का हाल । ।
(५) सुनो-सुनो दीदी की कहानी, दीदी बड़ी सयानी ।
देती न पानी , करती है हमेशा आना-कानी ॥
(६) चलना सीखा किससे? सिखाया किसने खाना खिलाना?
कौन हैं वे? हैं वे मेरे प्यारे-प्यारे, सलोने नाना ।
(७) मेरी माँ की माँ मेरी नानी, बड़ी है भोली ,
हँसमुख चेहरा, बोले हमेशा मीठी बोली ।
दिन भर सबका पूछे हाल ,
नानी जियो तुम , हज़ारों साल ॥
(८.) मेरे पापा के पापा हैं मेरे दादा, रहते हर दम सादा ।
सैर कराने ले जाते, हमको लड्डू-पेड़े हैं खिलाते ॥
(९) हलवा खाने वाली अम्मा, लोरी गाने वाली अम्मा ।
मुझे सुनाती रोज कहानी, नानी की है मित्र पुरानी ।
पापा की है आधी अम्मा, मेरी पूरी दादी अम्मा ।
(१०) मामा ने मामी को मक्खनपुर के मेले में मक्के की रोटी मक्खन-लस्सी के साथ मालती लता के नीचे खिलाई ।
(११) चाचा ने चाची को चांदनी-चौक में चांदनी रात में चांदी दे चम्मच से चटनी चटाई ।
(१२) मेरी प्यारी-सी बुआ , बनाती है मीठा मालपुआ ।
सर पर पहने साफा, उनके साथ हैं मेरे न्यारे फूफा ॥
(१३.) मेरी माँ की बहन , मेरी माँ जैसी , है हम सबकी मौसी ।
सुन्दर-सलोने मौसा, दिलवाते हैं रोज मुझे समोसा ॥
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