पालतू पशुओं की शिकायते
यह स्क्रिप्ट हिंदी तृतीय भाषा के बच्चों ने स्वयं लिखी और प्रार्थना सभा मे अभिनीत किया ।
गाय - क्या आप जानते हैं की हम सब यहाँ इकट्ठा क्यों हुए हैं ?
कोरस- हाँ , हाँ , हमारी बहुत -सी शिकायतें हैं ।
घोड़ा - भाइयों और बहनों , क्या तुम्हें नहीं लगता है कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है ?
गधा - कैसा अन्याय ?
कुत्ता - अरे बुद्धू , तुम्हें नहीं लगता कि मनुष्य हमारा नाजायज़ फ़ायदा उठा रहे हैं ।
बैल - बिलकुल सही कहा । सुबह-सुबह किसान मुझे जगाकर मेरी पीठ पर भारी हल लगाकर अपना खेत जोतता है । खेत जोतते समय वह न जाने मुझे कितनी बार मारता है , उसे यह भी समझ में नहीं आता कि मैं थक गया हूँ , थोड़ी-सी देर के लिए भी मुझे साँस नहीं लेने देता ।
गधा - हाँ , मेरा मालिक भी एक जगह से दूसरी जगह जाते समय अपना सामान मेरे ऊपर लाद देता है । उसे भी मेरे ऊपर ज़रा भी दया नहीं आती, बस मुझे हांकता जाता है ।
घोड़ा- मैं भी सिर्फ उनके लिए काम ही नहीं करता बल्कि वे मुझसे पैसे भी कमाते हैं , तुमने घोडों की रेस के बारे में तो सुना ही होगा । ये रेसे कोई सौ-हज़ार की नहीं बल्कि लाखों रुपयों मे खेली जातीं हैं ।
कुत्ता- मैं भी घर की रखवाली के साथ उनके साथ खेलकर उनका मनोरंजन करता हूँ , साथ ही कुत्तों के शो में भाग लेकर उनके लिए पैसे कमाता हूँ और उन्हें इज़्ज़त भी दिलाता हूँ ।
गाय - जो दूध मेरे बच्चे के लिए है,वही दूध मनुष्य मुझसे छीनकर दुकानों में बेचते हैं और उसी से न जाने कितने लोग रोजी-रोटी कमाते हैं ।
बैल - हाँ , कितने दुःख की बात है कि मनुष्य के लिए इतना कुछ करने के बावजूद भी वह हमारे साथ इतना बुरा व्यवहार करता है ।
घोड़ा - दौड़ते समय घुड़सवार मेरी पीठ पर चाबुक इतनी कसकर मारते हैं कि मैं उफ करके रह जाती हूँ । और तो और वे मुझे एक थैले में खाना रखकर उसे मेरे मुंह पर बाँध देते हैं । यह तो कुछ भी नहीं है, मुझे इधर-उधर ले जाते समय मेरी आँखों पर वे बिलंकर्स लगाते हैं ताकि मैं इधर-उधर न देख सकूं ।
गधा - सही कह रहे हो दोस्त , उन्हें हमारी कोई चिंता नहीं है । वे बस अपना काम कराना जानते हैं ।उन्हें हमसे न प्यार है और न ही हमसे वे सहानुभूति रखते हैं ।
बैल - तुम्हें पता है कि वे हमारे नाम का कैसे इस्तेमाल करते हैं जैसे- बिलकुल गधा है , बैल की तरह काम करना सीखो, गाय की तरह सीधा है, क्या घोड़े की तरह भाग रहे हो .............
गधा - यह मनुष्य सोचता है कि वह सबसे अधिक बुद्धिमान है । मुझे तो वह आलसी और बेवकूफ मानता है । जबकि मैं उसके लिए काम करता हूँ , पैसे कमाता हूँ , भारी बोझ उठाता हूँ । पर वह मेरा तमाशा बनाता है ।
कुत्ता- अरे, तुम्हारी तरह वह मेरे नाम का भी अपमान करते हैं । साथ ही पहले वे मुझे पालते हैं , मेरा पूरी तरह इस्तेमाल करते हैं , मुझे प्यार भी देते हैं पर जब मैं बूढ़ा हो जाता हूँ तो उनके किसी काम का नहीं रहता तो कई बार वह मुझे सड़क पर मरने के लिए बेसहारा छोड़ देते हैं । कभी- कभी वह मेरे बच्चों को मुझसे छीनकर पैसे कमाने के लिए उन्हें बेच देता है ।
गाय - तुम लोगों का वे ऐसे फ़ायदा उठाते हैं । मेरी तो वह पूजा करता है , मुझे भगवान का रूप मानता है । कितने आश्चर्य की बात है कि अपने स्वाद के लिए वह मुझे मारकर खाता है । मेरी खाल से जूते , कपडे आदि बनाता है ।
बैल - छोड़ो भी, हम सब भी न जाने क्यों इन शिकायतों का पिटारा खोलकर बैठ गए हैं । हम तो बस अपना दुःख बाँट रहे हैं ।
कुत्ता- हाँ , कभी-कभी लगता है कि हमें खुश होना चाहिए कि हम इस दुनिया में किसी के काम आ रहे हैं ।
घोड़ा- शायद मनुष्य भी हमारी तरह सोचता होगा पर कभी-कभी वह भी अपनी ज़िन्दगी से थककर चिड़ जाता होगा और हमारे साथ ऐसा व्यवहार करता होगा ।
गधा- ठीक कहते हो, भाई! परोपकार करके शिकायत करने का कोई फायदा नहीं है ।
गाय - हम प्राणियों को अपने पर गर्व होना चाहिए की हमारा यह जीवन इस धरती पर किसी के काम आ रहा है । चलो, चलें अपने-अपने घर ।
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