प्रायश्चित
यह नाटिका छात्र-छात्राओं ने कक्षा दस में कहानी (प्रायश्चित) को पढ़कर लिखी थी । कक्षा दस की मौखिक परियोजना के लिए छात्रों ने कहानी को इस नाटिका के रूप में लिखा और फिर उसे प्रार्थना सभा में अभिनीत किया । इस तरह की क्रियाओं को छात्र-छात्राओं की सृजनात्मक योग्यता को बढ़ाने के लिए किया जाता है । ऐसी क्रियाओं से छात्र-छात्राओं का आत्मविश्वास बढ़ता है । छात्रों ने इस कहानी को वर्तमान वातावरण से जोड़ने के लिए आधुनिक वस्तुओं और उपकरणों का प्रयोग किया है ताकि नाटिका वर्तमान से जुडी लगे और लोगों को आनंद आए ।
पात्र- सास , रिया, परमसुख पंडित, महरी, मिसरानी, धन्नू की दादी , किसनू की माँ , पंडिताइन, बिल्ली, राजीव ।
(दृश्य रसोईघर का है । रिया आइसक्रीम बना रही है और साथ में डिस्कमैन सुन रही है ।)
सास - अरे ओ रिया!
(डिस्कमैन की आवाज़ के कारण रिया सुनती नहीं है ।)
सास - (ज़ोर से ) अरे ओ रिया !
रिया- माफ कीजिए सासू जी ! मैंने सुना नहीं । बोलिए, क्या काम है ?
सास- मेरे लिए पॉप कॉर्न बना लो । जब मैं "क्योंकि सास भी कभी बहू थी " सीरियल देखती हूँ तो पॉप कॉर्न खाना बहुत अच्छा लगता है ।
रिया - हां जी , अभी लाई । अरे, यह आइस्क्रीम यहाँ ठण्डी करने के लिए रख देती हूँ । वरना वह पुसीकेट चट कर जाएगी ।
(रिया आइस्क्रीम का कटोरा कमरे के एक ऊँचे ताक पर रखती है , और पॉप कॉर्न बनाकर सास के पास लेकर आती है ।)
(बिल्ली का प्रवेश । बैनक्युलर हाथ में पकड़े । कटोरे की ओर देखती है । छलाँग मारकर वह पंजा आइस्क्रीम पर मारती है । रिया वहाँ दौड़कर आती है ।)
रिया - ओ यू फूल ! स्टूपिड केट! तुम बिलकुल मकेवटी जैसे हो! हर हर समय आइस्क्रीम और डेजर्ट उड़ा लेती हो । (ज़ोर से)अब या तो तुम इस घर में रहोगी या मैं ।
(राजीव अंदर आता है ।)
राजीव- क्या हुआ? ओ नो ! यह बिल्ली! ओ रिया! तुम्हें पता है कि मैं डेजर्ट के बिना खाना नहीं खा सकता हूँ । तुम अलर्ट क्यों नहीं रहतीं? अब मैकडोनल्ड्स में खाना खाने जाना पडेगा । इस बिल्ली ने मेरी सारी आइस्क्रीम खा ली ।
(राजीव चला जाता है ।)
रिया - (परेशानी से) अब मैं यह और नहीं सह सकती। मैं बिल्ली के छक्के छुड़ा कर ही रहूंगी ।
(रिया ने देहरी के पास एक कटोरे में फिश फिलेट रख दिया ।)
रिया - इस बार मैं सफल होकर ही रहूंगी । जब बिल्ली इस फिश फिलेट पर जुटी होगी तो मैं ……।
(रिया एक खम्भे के पीछे छिप जाती है और बेसब्री से बिल्ली का इन्तजार करती है । )
(बिल्ली धीरे से देहरी की और बढती है। वह इधर-उधर देखकर फिश फिलेट चाटने लगती है । बैकग्राउंड में म्यूजिक - मिशन इम्पॉसिबल २ थीम )
(रिया धीरे से अंदर आती है और टेनिस रैकिट बिल्ली पर पटक कर मारती है । बैकग्राउंड म्यूजिक- पिंक पेंथर ट्यून )
(बिल्ली बेहोश हो जाती है और सबको लगता है कि बिल्ली मर गई । बैकग्राउंड म्यूजिक - देवदास फ़िल्म - मार डाला ।) (तभी महरी , मिसरानी और सासू जी का प्रवेश )
महरी - अइयो रामा! बिल्ली तो मर गई माँ जी ! बिल्ली की ह्त्या रिया से हो गई, यह तो बुरा हुआ। पा..... पा .... पा …स्वामी ! रक्षा करो ।
मिसरानी- माँ जी ! बिल्ली की ह्त्या और आदमी की ह्त्या एक बराबर है । हम तो चॉकलेट केक तब तक न बनावेंगी , जब तक रिया के सिर पर यह ह्त्या रहेगी ।
सास - हां , ठीक तो कहती हो , अब जब तक बहू के सर से ह्त्या का पाप न उतर जाए तब तक न कोई ड्यू पी सकता है और न ही डबल संडे पर हाथ लगा सकता है । ……… और मेरे पॉप कॉर्न ! मेरा सीरियल! बहू यह क्या कर डाला ?
महरी - कहो तो पंडित जी को बुला लाएँ ?
सास - अरे हाँ , जल्दी से सैंट्रो निकालो ....... नहीं , नहीं अरे हमारे नए रिलायंस सैल फोन से एस एम एस भेज दो ना !
(पंडित जी के घर में )
पंडिताइन - अजी सुनते हो ! आपके सैल फोन पर एस एम एस आया है ।
पंडित - (फोन उठाकर ) भोजन न बनाना , लाला धनीराम की ग्रांड डॉटर इन लॉ ने बिल्ली मार डाली , प्रायश्चित होगा, पिज़्ज़ा, बर्गर सब पर हाथ लगेगा ।
(पंडित जी घर पर पहुंचते हैं । पड़ोस में एस एम एस की आवाज़ सुनाई देती है । यह खबर फैल जाती है कि रिया ने बिल्ली मार डाली है । पंचायत बैठी है । )
किसनू की माँ - पंडित जी, बिल्ली की ह्त्या करने से कौन-सा नरक मिलता है ?
पंडित - (हिप्पी टाइप) एक मिनट, मैं अपने पॉमटॉप में देखता हूँ । मुहूर्त बताइए जब बिल्ली की ह्त्या हुई ।
मिसरानी- यही कोई सात बजे सुबह ।
पंडित - हरे रामा, हरे कृष्णा, हरे रामा, हरे कृष्णा ! बड़ा बुरा हुआ । प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में बिल्ली की ह्त्या ! घोर कुम्भीपाक नरक का विधान है ।
सास - ओ माई गॉड ! अब क्या होगा ? आप ही बतलाएं ।
पंडित- राजीव की माँ , चिंता की कौन -सी बात है ? योगी-भोगी डॉट कॉम में प्रायश्चित के सब विधान हैं । प्रायश्चित से सब ठीक हो जाएगा । चिल ऑउट , आंटी जी !
सास - इसलिए तो पंडित जी हमने आपको एस एम एस किया था । बतलाइए, क्या किया जाए ?
पंडित- यही एक बिल्ली बनवाकर बहू से दान करवा दी जाए ।
सास - प्लास्टिक की ?
पंडित- अ … अ ....... पता नहीं । आजकल तो सब कुछ बदल गया है ……… न्यू टेक्नोलॉजी ! एक मिनट पॉमटॉप में देख कर बताता हूँ कि क्या चलेगा । …… नहीं , नहीं, प्लास्टिक की नहीं , सोने की या प्लेटिनम की जिसके ऊपर हीरे भी जड़े हों । (मुस्कराकर) या दोनों भी चलेंगी ।
सास- तो हम तुरंत ज्वेलर्स से २४ कैरेट की १० ग्राम की सोने की बिल्ली के लिए एस एम एस से मेंसेज भेज देंगे ।
धन्नू की दादी - आज के जमाने में तो , डोंट यू ऑल थिंक , प्लेटिनम में हीरे जड़े हो, ऐसी चीजों की ज्यादा डिमाण्ड है ? फिर हमारे स्टेटस की भी बात है ।
सास- लेकिन सोने की………? (मिसरानी बीच में बोलती है )
मिसरानी- यह बहुत ही अच्छा आइडिया है । क्यों न हम सोने की बिल्ली प्लेटिनम से इलैक्ट्रोप्लेट करवा दें ।
(सास जी दुःख में सिर झुकाती है और पंचायत इस बात से सहमत है ।)
किसनू की माँ - रुको! पहले यह निश्चय किया जाए कि बिल्ली कितने किलो की होगी?
पंडित- योगी भोगी डॉट कॉम में लिखा है कि जो बिल्ली दान की जाती है , वह मरी हुई बिल्ली के वजन के बराबर होनी चाहिए । मेरे ख्याल से बिल्ली का वजन १०-१२ किलो के करीब होगा ।
(राजीव की माँ पंडित की ओर ऐसे देखती है जैसे कि मानो पंडित पागल हो गया है । )
सास - अरे बाप रे ! १० किलो सोना! इस मंहगाई के ज़माने में ! पंडित जी यह तो लूट है । १० ग्राम की बिल्ली से काम नहीं चलेगा ?
पंडित - प्रायश्चित के समय कंजूस नहीं बनना चाहिए । प्रायश्चित पूरे दिल व मन लगाकर करना चाहिए वरना उसका पुण्य नहीं मिलेगा ।
(मोल-तोल शुरू होता है और मामला ५० ग्राम की बिल्ली पर तय हो जाता है ।)
सास- पूजा का सामान कितना लगेगा ?
पंडित- थोड़े-से थोड़े सामान से काम चलेगा। यही कुछ …… सौ किलो गेहूँ , एक किलो चावल , दस किलो तिल, पांच -पांच किलो जौ व चना , बीस किलो घी और एक किलो करीब नमक और चीनी भी चाहिए ।
सास - इतना सारा सामान! इस पर इतना खर्च होगा कि हम नई सोनाटा भी नहीं खरीद पाएंगे ।
पंडित- पर यह खर्चा तो आपके हाथ का मैल होगा ।
सास - (ठंडी साँस लेकर ) अब तो तिगनी का जो नाच नचाओगे, नाचना ही पडेगा ।
मिसरानी- आपको नाचना आता है ? हमें नहीं पता था !
सब लोग (एक साथ चिल्लाते हुए ) चुप!
पंडित-आंटी जी , आपने हमको मदारी समझ रखा है क्या ? जो हम आपको नचाएंगे । पाप किया है , अब फल भी भुगतना पडेगा , मैं तो चला !
मिसरानी, किसनू की माँ , धन्नू की दादी - हे , मिस्टर परमसुख! आंटी जी को कुछ प्रॉब्लम नहीं है, बट "पूअर डियर" कितनी दुःखी हैं , बिगड़ो नहीं ।
सास (झूठी आवाज़ में ) - क्षमा कीजिए, महाराज !
(सास की सुन्दर-सुन्दर आँखों से मगरमच्छ के आँसू निकलते हैं । इसे देखकर पंडित वापिस आकर अपना आसन फिर से जमाता है । )
सास - बोलिए, कुछ और भी करना है क्या ना?
पंडित- इक्कीस दिन के पाठ के २१,००० हज़ार रुपए लगेंगे । हर दिन का एक हज़ार रुपया । यह कार्य पूरा करने के लिए पाँच ब्राह्मणों को बुलवाकर रोज़ खाना खिलाना पडेगा । लेकिन आंटी जी, आंटी ही, इसकी चिन्ता आप अपने सिर पर मत लीजिए , मैं हूँ ना ? मैं उन पाँचो का ब्रेकफास्ट , लंच व् डिनर अकेला ही खाउंगा । पर आपको मेरा मनपसंद भोजन बनाना पडेगा ! ब्रेकफास्ट में फ्रूट लूप्स , टोस्ट और चॉकलेट मिल्क , लंच में पिज़्ज़ा, फ्रेंच फ्राइज़ और कोक , डिनर में चाइनीज़- शेज़वान नूडल्स तो ज़रूर बनाएं ।
मिसरानी - यह तो मिस्टर परमसुख ठीक कहते हैं, उनका साइज देखकर ही पता चलता है । मानो वे साक्षात अदनान सामी सिंगर की मूर्ति हों ।
पंडित - ओके, तो प्रायश्चित की तैयारियाँ शुरू कीजिए आंटी जी ! ५० ग्राम सोना और प्लेटिनम और कुछ हीरों के लिए रुपए निकालिए, तो बिल्ली भी मैं ही बनवा लूंगा । वह दो घंटे में तैयार हो जाएगी, तब तक पूजा की साड़ी चीजें कृपया करके जल्दी से ले आइए ।
सास - हाँ , (नौकर से ) पूजा का सारा सामान झट से बेंज से जाकर लाओ । तब तक ……… ।
( दूसरी तरफ , अन्य दृश्य में )
बिल्ली - (अब होश में आ जाती है ) मैं कौन हूं ? मैं कहाँ हूँ ? (इधर-उधर देखती और भाग जाती है ।)
महरी - (यह सब देखकर कमरे में भागती हुई आती है) आंटी जी , बिल्ली …… बिल्ली ……तो भा....... भाग गई !
सब लोग (एक साथ पंडित की ओर देखकर ) इसकी तो गई !
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