पेड़ परियोजना प्रस्तुतीकरण
इस परियोजना को छात्रों और अध्यापिका के द्वारा लिखा गया जब उन्होंने "नीम का पेड़ " का पाठ पढ़ा । तब उन्होंने कई दूसरे पेड़ों के बारे में भी कई अन्य साधनों से जानकारी ली और यह स्क्रिप्ट लिखी । फिर इसे प्रार्थना सभा में प्रस्तुत किया ।एक छात्रा - क्या आप हमें इन पहेलियों के उत्तर बता सकते हैं -
मनचाही वस्तुएं देते , मनचाहे फूल व फल देते ।
एक बात इनकी है ख़ास , बदले में कुछ भी न लेते ॥
दूसरा छात्र - शीतकाल , गर्मी, वर्षा के, सहकर तीखे तीर ।
हंसते , खिलते , अटल खड़े हैं , ये असंख्य वीर ॥
तीसरी छात्रा - रबड़ - गोंद - गुड - ईंधन , जो करते हैं दान ।
बने हुए हैं फल-फूलों के , खजाने बड़े महान ॥
चौथा छात्र - कार्बनडाई - ऑक्साइड , पीकर देते है ऑक्सीजन ।
पर उपकार में ही , देखो रम गया उनका जीवन ॥
पांचवाँ छात्र- वर्षा में रोका करते हैं , जो भूमि का कटाव ।
कायम रखना नमी धरा की, जिनका सदा स्वभाव ॥
जी हाँ , हम पेड़ो के बारे में बात करने जा रहे हैं । हमने "नीम का पेड़" पाठ पढा । इसके साथ अन्य पेड़ों के बारे मे भी जानकारी इकट्ठी की । आज हम उन्हीं के बारे में आपको बताने जा रहे हैं ।
एक छात्रा - बहुत बड़ा, हरे पत्ते, लम्बी-लम्बी जड़ें ,
(बरगद) कई प्राणी-बन्दर-चिड़िया मुझ पर डेरा डालते
विवाहित स्त्रियाँ मुझ पर विशवास करें
मुझे पूज कर पातीं आशीर्वाद हैं ।।
चौथा छात्र - उंचा, बड़ा, "दिल" के आकार की पत्तियों वाला
(पीपल ) मेरी सूखी पत्तियों को, चित्रकार ने रंगबिरंगा बनाया
धार्मिक महत्त्व से, मैंने मंदिरों में स्थान पाया
पूर्वजों का निवासस्थान मुझमें , समझ लोगों ने मुझे मान दिया
गौतम बुद्ध ने मेरा आश्रय लिया , और ज्ञान पाया । ।
पांचवाँ छात्र- भारत में मुख्य रूप से ,दक्षिण भारत में बहुत पाया जाता
(चंदन) अगरबत्ती, साबुन आदि के रूप में, हर हगह महकाता
ठंडा मौसम है प्यारा मुझे , साँप मुझ पर डेरा बनाता
मेरी लकड़ी घिसकर , टीका लगाओ या फिर खिलौने बनाओ
कोई मुझे पूजा में उपयोग करता, तो कभी धनवान की चिता बनता । ।
दूसरा छात्र - सिर पर उसका देखा मटका
(नारियल ) मटके को घर लाकर पटका
कुछ खाया , कुछ फेंका
मटके का पानी भी गरका ॥
जी हाँ , मैं हूँ नारियल -
बहुत लंबा, उंचा , लम्बी -लम्बी पत्तियों वाला
हर अंग डाल , फल, पत्तियाँ मेरे काम वाले
वातावरण मुझसे ठंडा रहता, मनुष्यों की प्यास बुझाता
तभी तो "कल्पवृक्ष" पुकारा जाता ॥
तीसरी छात्रा - लंबा , घना , लम्बी-लम्बी पत्तियाँ , सुगन्धित फूलों वाला
(नीम) टहनियों से दातुन करो, तो तेल दवाई के काम आता
पत्तियों से अनाज, गर्म कपड़े, किताबें बचाओ, मक्खी-मच्छर भी भगाओ
इस दवाखाने को अपनाओ, कभी न अपने से अलग होने दो ॥
आज हम सब मिलकर यही कहते हैं - "हमें न काटो भाई "
नहीं काटना हमें भाई
हमने तुम्हें छाँह पहुंचाई ।
सूरज जब ऊपर चढ़ जाता
राही यहाँ बैठकर सुस्ताता
मीठे फल हमारे वह खाता
बदले मे क्या कुछ दे जाता?
सेवा की , और की भलाई
नहीं काटना हमें भाई !
हमारी जड़ी -बूटियाँ लेकर
बनती दवा हकीमो के घर
खाकर उसे ठीक हो जाते
बूढ़े -लड़के सब सुख पाते
हमसे सब मे खुशियाँ आईं
नहीं काटना हमें भाई!
ठंडी हवा हमीं से चलती
जन -जन में जीवन-रस भरती
हमें उगाओ अपने पास
पूरित हो जीवन की आस
कण -कण में सुंदरता आई
नहीं काटना हमें भाई !
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