Monday, 4 May 2015

A presentation of different types of trees / पेड़ परियोजना प्रस्तुतीकरण

                              पेड़ परियोजना प्रस्तुतीकरण 

इस परियोजना को छात्रों और अध्यापिका के द्वारा लिखा गया  जब उन्होंने "नीम का पेड़ " का पाठ पढ़ा । तब उन्होंने कई दूसरे पेड़ों के बारे में भी कई अन्य साधनों से जानकारी ली और यह स्क्रिप्ट लिखी । फिर इसे प्रार्थना सभा में प्रस्तुत किया ।

 एक छात्रा - क्या आप हमें इन पहेलियों के उत्तर बता सकते हैं -
                   मनचाही वस्तुएं देते , मनचाहे फूल व फल देते ।
                   एक बात इनकी है ख़ास , बदले में कुछ भी न लेते ॥

दूसरा छात्र - शीतकाल , गर्मी, वर्षा के, सहकर तीखे तीर ।  
                    हंसते , खिलते , अटल खड़े हैं , ये असंख्य वीर ॥

तीसरी छात्रा - रबड़ - गोंद - गुड - ईंधन , जो करते हैं दान ।
                     बने हुए हैं फल-फूलों के , खजाने बड़े महान ॥

चौथा छात्र - कार्बनडाई - ऑक्साइड , पीकर देते है ऑक्सीजन ।
                   पर उपकार में ही , देखो रम गया उनका जीवन ॥

पांचवाँ छात्र- वर्षा में रोका करते हैं , जो भूमि का कटाव ।
                     कायम रखना नमी धरा की, जिनका सदा स्वभाव ॥

जी हाँ , हम पेड़ो के बारे में बात करने जा रहे हैं । हमने "नीम का पेड़" पाठ पढा । इसके साथ अन्य पेड़ों के बारे मे भी जानकारी इकट्ठी की । आज हम उन्हीं के बारे में आपको बताने जा रहे हैं ।

एक छात्रा - बहुत बड़ा, हरे पत्ते, लम्बी-लम्बी जड़ें ,
  (बरगद)    कई प्राणी-बन्दर-चिड़िया मुझ पर डेरा डालते
                 विवाहित स्त्रियाँ मुझ पर विशवास करें
                 मुझे पूज कर पातीं आशीर्वाद हैं ।।

चौथा छात्र - उंचा, बड़ा, "दिल" के आकार की पत्तियों वाला
    (पीपल )  मेरी सूखी पत्तियों को, चित्रकार ने रंगबिरंगा बनाया
                  धार्मिक महत्त्व से, मैंने मंदिरों में स्थान पाया
                  पूर्वजों का निवासस्थान मुझमें , समझ लोगों ने मुझे मान दिया
                 गौतम बुद्ध ने मेरा आश्रय लिया , और ज्ञान पाया । ।

पांचवाँ छात्र- भारत में मुख्य रूप से ,दक्षिण भारत में बहुत पाया जाता
   (चंदन)        अगरबत्ती, साबुन आदि के रूप में, हर हगह महकाता
                    ठंडा मौसम है प्यारा मुझे , साँप मुझ पर डेरा बनाता
                     मेरी लकड़ी घिसकर , टीका लगाओ या फिर खिलौने बनाओ
                     कोई मुझे पूजा में उपयोग करता, तो कभी धनवान की चिता बनता । ।

दूसरा छात्र - सिर पर  उसका देखा मटका
   (नारियल )  मटके को घर लाकर पटका
                     कुछ खाया , कुछ फेंका
                     मटके का पानी भी गरका  ॥
             
                     जी हाँ , मैं हूँ नारियल -
                      बहुत लंबा, उंचा , लम्बी -लम्बी पत्तियों वाला
                      हर अंग डाल , फल, पत्तियाँ मेरे काम वाले
                       वातावरण मुझसे ठंडा रहता, मनुष्यों की प्यास बुझाता
                       तभी तो "कल्पवृक्ष" पुकारा जाता ॥

तीसरी छात्रा - लंबा , घना , लम्बी-लम्बी पत्तियाँ , सुगन्धित फूलों वाला
 (नीम)              टहनियों से दातुन करो, तो तेल दवाई के काम आता
                         पत्तियों से अनाज, गर्म कपड़े, किताबें बचाओ, मक्खी-मच्छर भी भगाओ
                         इस दवाखाने को अपनाओ, कभी न अपने से अलग होने दो ॥

आज हम सब मिलकर यही कहते हैं - "हमें न काटो भाई " 


नहीं काटना हमें भाई 
हमने तुम्हें छाँह पहुंचाई । 
सूरज जब ऊपर चढ़ जाता 
राही यहाँ बैठकर सुस्ताता 
मीठे फल हमारे वह खाता 
 बदले मे क्या कुछ दे जाता?
सेवा की , और की भलाई 
नहीं काटना हमें भाई ! 

हमारी जड़ी -बूटियाँ लेकर 
बनती दवा हकीमो के घर 
खाकर उसे ठीक हो जाते 
बूढ़े -लड़के सब सुख पाते 
हमसे सब मे खुशियाँ आईं 
नहीं काटना हमें भाई! 

ठंडी हवा हमीं से चलती 
जन -जन  में जीवन-रस भरती 
हमें उगाओ अपने पास 
पूरित हो जीवन की आस 
कण -कण में सुंदरता आई 
नहीं काटना हमें भाई ! 

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