श्वान धर्म यह ज़िंदाबाद (लक्ष्मीकांत वैष्णव)
(यह एकांकी मैंने मिश्रित माध्यमिक स्कूल के छात्र-छात्राओं अथवा कक्षा पाँच ,छ: और सात के साथ किया । इसके लिए बच्चों ने जानवरों की खाल के रंग के कपडे पहने और अपने सिर पर एक पट्टी बाँधी जिस पर उस जानवर का नाम लिख लिया ।)
पात्र- कुत्ते, हाथी, बन्दर, रीछ , गधा ।
कुत्ता- १- इस को कांटू , उसको कांटू , किस को कांटू ?
कुत्ता- २- सब को काटो । जो-जो गुजरे आज गली से उस को काटो ।
(एक गधा उधर से निकलता है ।)
कुत्ता- १- इसके घुटने आज फोड़ दो । कान पकड़कर भी झंझोड़ दो ।
गधा - (मुड़कर) मोती भैया तुम क्यों भौंके, रोज निकलता हूँ इस पथ से, आज मुझे क्यों देख के चौंके?
कुत्ता-१- सुन बे गधे, काम हमारा यही भौंकना ।
कुत्ता-२- अजनबियों को देख चौंकना ।
कुत्ता-१-सोच रखा है, आज जाएगा जो इस पथ से
उसे भौंककर डाँटेंगे ।
कुत्ता -२- हाँ , सोच रखा है
जो गुजरेगा आज गली से
उसे लपककर काटेंगे ।
गधा - मगर निहत्थों को धमकाना
धर्म नहीं हैं ,
तुम जैसे ताकत वालों का धर्म नहीं है ।
(एक बन्दर उधर से गुजरता है। गधे की बात सुनता है। फिर गधे से कहता है ।)
बन्दर - कूकर का है काम भौंकना
और काटना
अपने से ताकत वाले के पैर चाटना ।
जो लतियाए उसके आगे पूंछ हिलाना
जो डर जाए उसे घूरकर आँख दिखाना ।
कुत्ता-१- इस बन्दर को भी झंझोड़ दो
दोनों आँखें आज फोड़ दो ।
बन्दर- तुम ज़मीन पर रहने वाले
छोटी है औकात तुम्हारी ।
मेरा भला बिगाड़ेगी क्या
यह कुत्ते की जात तुम्हारी ।
लपक पेड़ पर चढ़ जाउंगा
दांत दिखाकर खखुलाउंगा ।
कुत्ता-१- (कुत्ते -२ से )
इसको अपनी बत्तीसी का मज़ा दे
हमसे उलझने की सजा दे ।
(कुत्ता-२, भौंक कर दौड़ता है । बन्दर पास के पेड़ पर चढ़ बैठता है ।)
कुत्ता-१- नीचे से क्या भौंक रहा है
गले का धम्मं धौंक रहा है ।
ऊपर चढ़ जा और काट खा
सारा गुर्दा आज चाट खा ।
बन्दर - (मुंह चिढ़ाकर )
श्वान गली के चलने वाले
बेमतलब ही जलने वाले
ऊपर कैसे चढ़ पाएंगे ?
यों जीवन में आगे कैसे चढ़ पाएंगे ?
(फिर मुंह चिढ़ाता है । उसके बाद उतरकर तेज़ी से भाग जाता है ।)
गधा - (खड़ा-खड़ा ख़ुशी से चेम्पों-चेम्पों करता है )
बन्दर निकला मस्त कलंदर खी खी खी खी
भाग गया कुत्तों को डरा कर खी खी खी खी।
कुत्ता-१- मत कुत्तों को ताव दिला तू
मौत गधे मत पास बुला तू ।
तुझको तो हम काट खाएंगे
तेरा भेजा चाट जाएंगे ।
कुत्ता-२- दोनों आपस मे बाँट खाएंगे
तुझको तो हम काट खाएंगे ।
गधा - (नेपथ्य की ओर देखकर )
बत्तीसी को बेमतलब यों मत चलाओ
बाप तुम्हारा आता है, लो दुम दबाओ ।
(हाथी गुजरता है ।)
कुत्ता-१- (हाथी को देखकर )
यह है चूहा, इस पर तो हम रोज़ भौंकते
मगर बेशर्म कभी न तकता ओर हमारी ।
कुत्ता -२- देखें कैसे?
पैने दाँतों से डरता है
इसीलिए तो और हमारी
अपनी सूंड नहीं करता है ।
कुत्ता-१- चलो आज ललकारें इसको और चाब लें
अपने पंजों से इसका सिर आज दाब लें ।
गधा- कुत्तों, मत उलझो महान से।
माफ हमेशा जो करता है ,
वह जब कभी क्रोध करता है,
तब फिर नहीं बख्शता है वह
चले जाओगे आज जान से ।
कुत्ता-१- हट बे ढेँचू , हेचु-पेँचु !
दो कौड़ी की अक्ल तुम्हारी ।
कुत्ता-२- गधे जैसी शक्ल तुम्हारी ।
कुत्ता-१- तू हमको क्या सिखलाएगा?
सही गलत क्या दिखलाएगा?
(कुत्ता-२ से) चल बे टॉमी भौंकू नामी ।
इस हाथी की टाँग खींच ले
सर जबड़ों के बीच भींच लें।
(दोनों कुत्ते लपकते हैं और हाथी के पैरों से जूझते हैं ।)
कुत्ता-१- बहुत हो गया
अब तू सहन नहीं होता है ।
कुत्ता-२- तुझे छोड़ने का अब ये
मन नहीं होता है ।
कुत्ता-१- आज तुझे हम खा डालेंगे ।
कुत्ता-२- चमड़ा तेरा चबा डालेंगे ।
(हाथी हँसता है।)
हाथी- कुत्तों अपने से टकराओ
मत मोटो को आँख दिखाओ ।
कुत्ता-१- चल बे चूहे
तू डरकर काँप रहा
हमें देखकर हाँफ रहा ।
कुत्ता-२ - मोती कुत्ता बहुत तेज़ है ।
तेरे डर को भाँप रहा ।
बड़ा बड़ा तक हमसे डर कर
अपना रास्ता नाप रहा ।
अजब मूर्ख है तू जो अब तक
टुकुर टुकुर यूं टाप रहा!
हाथी- अच्छा तो लो,
पहचानो औकात तुम्हारी
तब जानेंगे जब सह जाओ
छोटी -सी यह लात हमारी ।
(एक लात उठाकर कुत्ता-१ पर रखता है । कुत्ता नीचे दबकर काऊ काऊ करता है ।)
कुत्ता-१ - अरे मर गया!
किससे उलझा ये क्या कर गया ?
गधा - देख लिया अंजाम तुम्हारा?
दो मिनट में मिट जाएगा
इस दुनिया से नाम तुम्हारा ?
कुत्ता-१- हाथी भैया आज छोड़ दो !
गधा- ऊ हूँ !
नहीं छोड़ना , कमर तोड़ दो ।
बन्दर- (भागकर आकर )
इस पाजी की आँख फोड़ दो ।
गधा- ऊ हूँ !
गरदन को मरोड़ दो ।
हाथी- (कुत्ते-२ से)
तू आ , तुझको भी दिखला दूं ।
पाठ सभ्यता का सिखला दूं ।
कुत्ता-२- मैं इसकी सोहबत में बिगड़ा
मेरा आपका भला क्या झगड़ा?
नहीं किसी को अब काटूंगा,
बड़ा आदमी कभी
दिखेगा, पग चाटूंगा ।
हाथी- (कुत्ते-१ से )
बोल बे कुत्ते, तुझे छोड़ दूं ?
या मैं तेरी कमर तोड़ दूं
गरदन को तेरी मरोड़ दूं ?
या तेरी मिट्टी निचोड़ दूं ?
कुत्ता-१- (गिड़गिड़ाकर )
हाथी भैया आज छोड़ दो।
बन्दर- पहले इसकी कमर तोड़ दो ।
गधा- इसकी गरदन आज हिला दो ।
बन्दर- बेमतलब की भौ भौ करना
आज भुला दो ।
हाथी - दया बड़ों का धर्म रहा है
और क्षमा का कर्म रहा है ।
छोटा-सा यह सबक दिया है
जा बे तुझको माफ किया है ।
(पैर उठा लेता है। कुत्ता-१ लगभग अधमरा हो चुका है । पीड़ा से कराहता है। दूसरा कुत्ता उसके जख्म चाटने लगता है। हाथी चला जाता है । गधा और बन्दर हँसते हुए एक ओर रवाना होते हैं । एक रीछ गले में स्टेथस्कोप डाले आता है । वह डॉकटर की वेशभूषा में है ।)
रीछ -मैं हूँ एक बेकार डॉक्टर ,
बहुत दिनों से बीमारों को ढूंढ़ रहा हूँ ।
(कुत्ते को देखकर) अरे क्या हुआ ?
घायल कुत्ता- हाथी ने धींगामुश्ती की ।
जबरन मुझसे कुश्ती की।
रीछ - बड़ा गधा था ।
तुमको भौंक भगा देना था ।
दस कुत्तों को उसके पीछे और लगा देना था ।
घायल कुत्ता - नहीं अकेला मैं काफी था
मार पटखनी उसको मारा ।
हाथी गिरा पीठ के बल
भग गया बिचारा ।
कुत्ता-२ - चंद खरोंचे आई हैं बस, दवा लगा दो!
मोती कुत्ता बहुत बहादुर, दवा लगा दो।
(रीछ दवा लगाकर चला जाता है ।)
कुत्ता-२-अब क्या करेंगे?
क्या हम साड़ी दुनिया से डरेंगे ?
कुत्ता-१- नहीं डरेंगे
केवल एक सीख मिली है हमको
उस पर अमल करेंगे ।
कुत्ता-२- वह क्या?
कुत्ता-१- अपने से छोटों को काटो
और बड़ों के तलुवे चाटो ।
बलवानों से पड़े जो पाला, दुम दबाओ,
कमज़ोरों पर भौंको,
काटो, चबा के खाओ ।
कुत्ता-२ - श्वान कर्म यह ज़िंदाबाद !
कुत्ता-१- श्वान धर्म यह ज़िंदाबाद!
(पर्दा गिरता है )
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