Friday, 8 May 2015

Shwan Dharam Yah Zindabad /श्वान धर्म यह ज़िंदाबाद by Laxmikant Vaishnav

               श्वान धर्म यह ज़िंदाबाद (लक्ष्मीकांत वैष्णव) 

(यह एकांकी मैंने मिश्रित माध्यमिक स्कूल के छात्र-छात्राओं अथवा कक्षा पाँच ,छ: और सात के साथ किया । इसके लिए बच्चों ने जानवरों की खाल के रंग के कपडे पहने और अपने सिर पर एक पट्टी बाँधी जिस पर उस जानवर का नाम लिख लिया ।)

पात्र- कुत्ते, हाथी, बन्दर, रीछ , गधा । 

कुत्ता- १- इस को कांटू , उसको कांटू , किस को कांटू ? 
कुत्ता- २- सब को काटो । जो-जो गुजरे आज गली से उस को काटो । 
            (एक गधा उधर से निकलता है ।)
कुत्ता- १- इसके घुटने आज फोड़ दो । कान पकड़कर भी झंझोड़ दो । 
गधा - (मुड़कर) मोती भैया तुम क्यों भौंके, रोज निकलता हूँ इस पथ से, आज मुझे क्यों देख के चौंके? 
कुत्ता-१- सुन बे गधे, काम हमारा यही भौंकना । 
कुत्ता-२- अजनबियों को देख चौंकना । 
कुत्ता-१-सोच रखा है, आज जाएगा जो इस पथ से 
           उसे भौंककर डाँटेंगे । 
कुत्ता -२- हाँ , सोच रखा है 
             जो गुजरेगा आज गली से 
             उसे लपककर काटेंगे । 
गधा - मगर निहत्थों को धमकाना  
          धर्म नहीं हैं ,
          तुम जैसे ताकत वालों का धर्म नहीं है । 
(एक बन्दर उधर से गुजरता है। गधे की बात सुनता है। फिर गधे से कहता है ।) 
बन्दर - कूकर का है काम भौंकना 
            और काटना 
            अपने से ताकत वाले के पैर चाटना । 
            जो लतियाए उसके आगे पूंछ हिलाना 
            जो डर  जाए उसे घूरकर आँख दिखाना । 
कुत्ता-१- इस बन्दर को भी झंझोड़ दो  
            दोनों आँखें आज फोड़ दो । 
बन्दर- तुम ज़मीन पर रहने वाले  
           छोटी है औकात तुम्हारी ।             
            मेरा भला बिगाड़ेगी क्या 
           यह कुत्ते की जात  तुम्हारी ।  
           लपक पेड़ पर चढ़ जाउंगा 
           दांत दिखाकर खखुलाउंगा । 
कुत्ता-१- (कुत्ते -२ से )
            इसको अपनी बत्तीसी का मज़ा दे             
            हमसे उलझने की सजा दे । 
(कुत्ता-२, भौंक कर दौड़ता है । बन्दर पास के पेड़ पर चढ़ बैठता है ।)
कुत्ता-१- नीचे से क्या भौंक रहा है 
            गले का धम्मं धौंक रहा है । 
            ऊपर चढ़ जा और काट खा 
            सारा गुर्दा आज चाट खा । 
बन्दर - (मुंह चिढ़ाकर ) 
            श्वान गली के चलने वाले 
            बेमतलब ही जलने वाले 
            ऊपर कैसे चढ़ पाएंगे ? 
            यों जीवन में आगे कैसे चढ़ पाएंगे ? 
(फिर मुंह चिढ़ाता है । उसके बाद उतरकर तेज़ी से भाग जाता है ।) 
गधा - (खड़ा-खड़ा ख़ुशी से चेम्पों-चेम्पों करता है )
          बन्दर निकला मस्त कलंदर खी खी खी खी
          भाग गया कुत्तों को डरा कर खी खी खी खी। 
कुत्ता-१- मत कुत्तों को ताव दिला तू 
            मौत गधे मत पास बुला तू । 
           तुझको तो हम काट खाएंगे 
            तेरा भेजा चाट जाएंगे । 
कुत्ता-२- दोनों आपस मे बाँट खाएंगे 
             तुझको तो हम काट खाएंगे । 
गधा - (नेपथ्य की ओर देखकर ) 
          बत्तीसी को बेमतलब यों मत चलाओ 
          बाप तुम्हारा आता है, लो दुम दबाओ । 
         (हाथी गुजरता है ।)
कुत्ता-१- (हाथी को देखकर )
          यह है चूहा, इस पर तो हम रोज़ भौंकते 
          मगर बेशर्म कभी न तकता ओर हमारी । 
कुत्ता -२- देखें कैसे? 
              पैने दाँतों से डरता है 
              इसीलिए तो और हमारी 
              अपनी सूंड नहीं करता है । 
कुत्ता-१- चलो आज ललकारें इसको और चाब लें 
            अपने पंजों से इसका सिर आज दाब लें । 
गधा- कुत्तों, मत उलझो महान से।  
         माफ हमेशा जो करता है , 
         वह जब कभी क्रोध करता है,
         तब फिर नहीं बख्शता है वह 
         चले जाओगे आज जान से । 
कुत्ता-१- हट बे ढेँचू , हेचु-पेँचु ! 
            दो कौड़ी की अक्ल तुम्हारी । 
कुत्ता-२- गधे जैसी शक्ल तुम्हारी । 
कुत्ता-१- तू हमको क्या सिखलाएगा?
            सही गलत क्या दिखलाएगा? 
            (कुत्ता-२ से) चल बे टॉमी भौंकू नामी । 
            इस हाथी की टाँग खींच ले 
            सर जबड़ों के बीच भींच लें। 
(दोनों कुत्ते लपकते हैं और हाथी के पैरों से जूझते हैं ।)
कुत्ता-१- बहुत हो गया 
            अब तू  सहन नहीं होता है । 
कुत्ता-२- तुझे छोड़ने का अब ये 
             मन नहीं होता है । 
कुत्ता-१- आज तुझे हम खा डालेंगे । 
कुत्ता-२- चमड़ा तेरा चबा डालेंगे । 
             (हाथी हँसता है।) 
हाथी- कुत्तों अपने से टकराओ 
         मत मोटो को आँख दिखाओ । 
कुत्ता-१- चल बे चूहे 
            तू डरकर काँप रहा 
            हमें देखकर हाँफ रहा । 
कुत्ता-२ - मोती कुत्ता बहुत तेज़ है ।    
             तेरे डर को भाँप रहा । 
             बड़ा बड़ा तक हमसे डर कर 
            अपना रास्ता नाप रहा । 
             अजब मूर्ख है तू जो अब तक 
             टुकुर टुकुर यूं टाप रहा! 
हाथी- अच्छा तो लो,
          पहचानो औकात तुम्हारी   
          तब जानेंगे जब सह जाओ 
          छोटी -सी यह लात हमारी । 
(एक लात उठाकर कुत्ता-१ पर रखता है । कुत्ता नीचे दबकर काऊ काऊ करता है ।)
कुत्ता-१ - अरे मर गया! 
             किससे उलझा ये क्या कर गया ? 
गधा - देख लिया अंजाम तुम्हारा? 
          दो मिनट में मिट जाएगा   
          इस दुनिया से नाम तुम्हारा ? 
कुत्ता-१- हाथी भैया आज छोड़ दो ! 
गधा- ऊ हूँ !
         नहीं छोड़ना , कमर तोड़ दो । 
बन्दर- (भागकर आकर ) 
         इस पाजी की आँख फोड़ दो । 
गधा- ऊ हूँ !
         गरदन को मरोड़ दो । 
हाथी- (कुत्ते-२ से)
          तू आ , तुझको भी दिखला दूं । 
          पाठ सभ्यता का सिखला दूं । 
कुत्ता-२- मैं इसकी सोहबत में बिगड़ा 
             मेरा आपका भला क्या झगड़ा? 
             नहीं किसी को अब काटूंगा,
             बड़ा आदमी कभी 
             दिखेगा, पग चाटूंगा । 
हाथी- (कुत्ते-१ से )
          बोल बे कुत्ते, तुझे छोड़ दूं ? 
          या मैं तेरी कमर तोड़ दूं 
          गरदन को तेरी मरोड़ दूं ? 
          या तेरी मिट्टी निचोड़ दूं ? 
कुत्ता-१- (गिड़गिड़ाकर ) 
         हाथी भैया आज छोड़ दो। 
बन्दर- पहले इसकी कमर तोड़ दो । 
गधा- इसकी गरदन आज हिला दो । 
बन्दर- बेमतलब की भौ भौ करना 
           आज भुला दो । 
हाथी - दया बड़ों का धर्म रहा है 
          और क्षमा का कर्म रहा है । 
          छोटा-सा यह सबक दिया है    
          जा बे तुझको माफ किया है । 
(पैर उठा लेता है। कुत्ता-१ लगभग अधमरा हो चुका है । पीड़ा से कराहता है। दूसरा कुत्ता उसके जख्म चाटने लगता है। हाथी चला जाता है । गधा और बन्दर हँसते हुए एक ओर रवाना होते हैं । एक रीछ गले में स्टेथस्कोप डाले आता है । वह डॉकटर की वेशभूषा में है ।)
रीछ -मैं हूँ एक बेकार डॉक्टर ,
        बहुत दिनों से बीमारों को ढूंढ़ रहा हूँ । 
        (कुत्ते को देखकर) अरे क्या हुआ ? 
घायल कुत्ता- हाथी ने धींगामुश्ती की ।    
                   जबरन मुझसे कुश्ती की। 
रीछ - बड़ा गधा था । 
         तुमको भौंक भगा देना था । 
         दस कुत्तों को उसके पीछे और लगा देना था । 
घायल कुत्ता - नहीं अकेला मैं काफी था 
                    मार पटखनी उसको मारा । 
                    हाथी गिरा पीठ के बल 
                    भग गया बिचारा । 
कुत्ता-२ - चंद खरोंचे आई हैं बस, दवा लगा दो! 
              मोती कुत्ता बहुत बहादुर, दवा लगा दो। 
(रीछ दवा लगाकर चला जाता है ।) 
कुत्ता-२-अब क्या करेंगे? 
            क्या हम साड़ी दुनिया से डरेंगे ?
कुत्ता-१- नहीं डरेंगे 
            केवल एक सीख मिली है हमको   
            उस पर अमल करेंगे । 
कुत्ता-२- वह क्या? 
कुत्ता-१- अपने से छोटों को काटो 
           और बड़ों के तलुवे चाटो । 
            बलवानों से पड़े जो पाला, दुम दबाओ,
            कमज़ोरों पर भौंको,
            काटो, चबा के खाओ । 
कुत्ता-२ - श्वान कर्म यह ज़िंदाबाद ! 
कुत्ता-१- श्वान धर्म यह ज़िंदाबाद! 
                                      (पर्दा गिरता है ) 

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