प्रस्तुत नाटक "सवा सेर गेहूँ" मैंने कक्षा दस के छात्र-छात्राओं के साथ किया था । प्रेमचंद के द्वारा लिखित इस कहानी को नाटक के रूप में अभिनीत करते हुए छात्र-छात्राएँ भावुक हो गए थे । कई लोग छात्रों के अभिनय से बहुत ही प्रभावित हुए थे विशेष रूप से जब मुख्य पात्र की मृत्यु होती है । उस छात्र के अभिनय से सब को मोह लिया था ।
No comments:
Post a Comment