Friday, 29 April 2016

बाँसुरीवाला/ Bansuri Wala (A long poem as a skit)

प्रस्तुत नाटिका "बाँसुरीवाला"मैंने अपनी सहकर्मी विशाखा चिंचानी के साथ कक्षा तीन के छात्र -छात्राओं के साथ की थी । बच्चों ने पूरा आनंद लिया । हमें भी उनके साथ इस नाटिका को करने में बहुत मज़ा आया 

                                                     बाँसुरीवाला
बात सौ साल, बात सौ साल
बात सौ साल, बात सौ साल
सुनो ध्यान से प्यारे, पुरानी
सुनो ध्यान से प्यारे, पुरानी
हैमलिन नामक एक शहर था
वीज़र नदी किनारे।
यूँ तो शहर बहुत सुन्दर था
हैमलिन जिसका नाम
मगर वहाँ के लोगों का
हो गया था चैन हराम
(वाचन)
इतने चूहे, इतने चूहे
गिनती हो गई मुश्किल
जिधर भी देखो, जहाँ भी देखो
करते दिखते किल-बिल
(गायन)
बाहर चूहे, घर में चूहे
दरवाजे और दर में चूहे
खिड़की और आलों में चूहे
थाली और प्यालों में चूहे।
ट्रंक में और संदूक में चूहे
फौज़ी की बंदूक में चूहे
अफ़सर की गाड़ी में चूहे
नौकर की दाढ़ी में चूहे।
झोले से बंसी निकाल कर
मीठी तान बजाई   (कन्नड़ गीत- किंदरिया...... जोड़ सकते हैं)
जिसको सुनकर चूहा सेना
दौड़ी-दौड़ी आई।
कोनों खुदरों से निकले
और निकले महल अटारी से
नाले नाली से निकले
और निकले बक्स पिटारी से।
घर की चौखट को फलांगकर
आए ढेरों चूहे
छत के ऊपर से छलांग कर
आए ढेरों चूहे।  (कन्नड़ गीत -संडनिदोडलि.....जोड़ सकते हैं)
(वाचन)
लाखों चूहों का जुलूस
चल पड़ा मदारी के पीछे
जैसे कोई डोरी उनको
लिए जा रही हो खींचे।
आगे-आगे चला मदारी
पीछे चूहे सारे
चलते-चलते वो जा पहुँचे
वीज़र नदी किनारे।
वहाँ पहुँचकर भी ना ठहरा
वो : फुटा मदारी
वहाँ पहुँचकर भी ना ठहरा
वो : फुटा मदारी
उतर गया दरिया के अंदर
पीछे पलटन सारी।
ले गया मदारी सब चूहों को
ले गया मदारी सब चूहों को
वीज़र नदी के अंदर
एक भी ज़िंदा नहीं बचा
सब डूबे नदी के अन्दर
सब डूबे नदी के अन्दर
चूहों को यूँ मार मदारी
राजा के घर आया
राजा के घर आया
अपने इनाम का वादा उसको
फ़ौरन याद दिलाया।
राजा बोला: "क्या कहते हो?
क्या कहते हो? क्या कहते हो?
क्या कहते हो?
मिस्टर मस्त कलंदर
चूहे तो खुद ही जा डूबे
वीज़र नदी के अन्दर।
कौन-सा तुमने कद्दू में
मारा है ऐसा तीर
जिसके कारण पुरस्कार दें
तुमको मस्त फ़कीर?"
(वाचन)
देखके ऐसी मक्कारी
वो रह गया हक्का-बक्का
उसके भोले मन को इससे
लगा ज़ोर का धक्का।
गुस्से से हो आग बबूला
महल से बाहर आया
थैले से बंसी निकाल कर
सुंदर राग बजाया
नहीं रोक पाई बच्चों को
नगर की जनता सारी (कन्नड़ गीत-होरुदु..........जोड़ सकते हैं)
(वाचन)
बिगड़ गई हैमलिन की जनता
पहुँची राजा के द्वारे
बोली,"तेरी बेईमानी से
बच्चे गए हमारे।
नहीं चाहिए ऐसा राजा
करता जो मनमानी
वादा करके झुठला देता
ये कैसी बेईमानी"
राजा से गद्दी छीनी
दे डाला देशनिकाला
और हैमलिन का राज-पाट
खुद, जनता ने ही संभाला।
नए राजा ने मस्त मदारी
को फ़ौरन बुलवाया
माफी माँगी और मुँहमाँगा
पुरस्कार दिलवाया।
सारे बच्चे वापस पहुँचे
अपने अपने घर पे
पूरे शहर में खुशी मनी

और दीये जले दर-दर पे।

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